बुद्धि काजू,बादाम खाने से नही,
बल्कि ठोकर लगने से खुलती है।

आज हम एक ऐसे ही प्रमाण से रूबरू होंगे,
पप्पू 3 बहन 1 भाई में चौथे नम्बर पर था कहने के तात्पर्य है तीनों बहने उससे बड़ी थी और भाई छोटा,
इसलिए बहनों को शादी का कोई ज्यादा बोझ पप्पू पर तो ना था पर भाई की चिंता उसे खाये जाती थी,खाये भी क्यों ना भाई पढ़ने लिखने में एकदम लिच्छड़ था बल्कि गांव के निठल्लों के साथ उठना – बैठना ,तास,जुआ आदि खेलना,
कहा जा सकता है पूरी तरह से बिगड़ गया था, पप्पू बड़ा होने के कारण गंभीर तथा जिम्मेदार था इसलिए छोटे भाई को हमेशा समझाता रहता की तभी तक ये सब चलेगा जब तक बाप कमा रहे हैं उसके बाद तुम्हे कोई पूछेगा नही ,पप्पू लाख समझाए पर भाई को कुछ समझ में नही आता,
लेकिन एक दिन ऐसी घटना घटी की पप्पू के छोटे भाई को कुछ समझाने को जरूरत ना पड़ी वो खुद सब समझ गया,
बात ऐसी थी की छोटे भाई काजू के साथ कभी जुआ खेलने वाला शिवेंद्र लेखपाल हो गया और जब काजू मिलने गया पहले जैसे भाव से तो शिवेंद्र का भाव बदला दिखा,
काजू को यह बात अखर गयी की दो कौड़ी की नौकरी पर इतना गुमान की ढंग से बात भी ना किया,
साला दिन भर हम बाप से रुपया मांग कर लाते थे वही से सार मस्ती काटता था आज ठीक से बात भी ना किया,
एकदम शांत मन से काजू घर लौटा किसी से कोई बात ना किया बस अकेले कमरे में पड़ा सोचता रहा- ऐसे बदलते हैं लोग,
भैया सही समझाते थे अब समझ में आ रहा है,
पर अब करूँ तो क्या??
पढाई तो अब सम्भव नही क्योंकी उमर कुछ ज्यादा हो चली है,
फिर भी विकल्पहीन नही है दुनिया?
उसने गाँव छोड़ शहर में एक छोटा सा।भोजनालय खोला क्योंकि उस समय इक्का दुक्का भोजनालय हुआ करता था इसलिए 2,4 माह में काजू का भोजनालय चमक गया,
उसके बाद काजू अपने भोजनालय पर एक मैनेजर रखकर खुद असहायों की मदद में जुट गया और हाल ही में होने वाले विधानसभा चुनाव में दावेदारी भी ठोंक दिया,
ईश्वर की कृपा रही की वह चुनाव में विजयी भी हो गया अब उसका मित्र जो लेखपाल था उसके सामने बौना नजर आने लगा,
लेकिन काजू अपने स्वाभाव में परिवर्तन ना किया जब लेखपाल एक दिन अपने स्थानांतरण के लिए उसके पास आया तो –
काजू ने उसे वो दिन याद कराते हुए बोला,
मित्र तुम्हारी ही सीख है कि आज मैं यहाँ हूँ भले तुम नकारात्मक थे पर मैं सकारात्मक था,
तुम्हारी ठोकर ने मेरी जिंदगी बदल दी, तुम्हारा काम जरूर होगा।।आशु अनादि।।जय राष्ट्र

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Ashutosh Ojha

Bureau Chief of reputed organization. Free speech advocate and excellent writer.

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