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सिद्धगधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
सिद्धिदत्री देवी दुर्गा का नवां रूप है, माता के नाम में : सिद्धि का मतलब अलौकिक शक्ति या ध्यान क्षमता वाली है , और धत्री का अर्थ है दाता या पुरस्कार विजेता। नवरात्रि के नौवें दिन (नवदुर्गा की नौ रातों) पर माता की पूजा की जाती है| माता सभी दिव्य आकांक्षाओं को पूरा करती हैं |
मां दुर्गा का यह नौंवा स्वरूप हमारे शरीर में शुभ तत्वों की वृद्धि करके बुरे तत्वों को नष्ट करता है। मां सिद्धिदात्री की आराधना हमारी अंतरात्मा को दिव्यता और पवित्रता से परिपूर्ण करती है तथा हमें सत्कर्म करने की प्रेरणा देती है। मां की आराधना से होने वाले शक्ति का संचार हमें नवीन ऊर्जा प्रदान करते हैं, और हम तृष्णा व वासनाओं की जकङ से मुक्त होने में सफल होते हैं।
सिद्धिदात्री माता के चारों हाथ में चक्र, शंख, गदा, और एक कमल का फूल लिए , शेर की सवारी करतीं हैं।
माता आठ अलौकिक शक्तियों के समन्वय है, जिनका नाम अनीमा, महिमा, गरिमा, लगिमा, प्राप्ति, प्रकामब्या, ईशित्व और वशित्व है। भगवान शिव के अर्धनारीश्वर अवतार में सभी आठ शक्तियों द्वारा प्राप्त माता सिद्धिदत्री का अहम् योगदान था।
जय माता दी | आप सभी माता के सभी रूपों का आशीर्वाद प्राप्त हो |
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