सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य की हम भारत में जन्मे जहाँ अंबेडकर जैसे लोग जन्मे जो दलितों के लिए अलग राज्य की मांग करते थे जिसका मूल्य भारत था..जिन्हें भारत के संविधान का निर्माता कहा गया अब ये तो बहुत ही विडम्बना है की भारत की छाती को दो फांक में बांटने वाला भारत के लिए न्याय बनाया …उसी का जीता जागता उदाहरण मिला ” रोहित वेमुला काण्ड में ..मरने के बाद तमाम शिक्षकों ने त्यागपत्र दे दिया वो मारने के पहले कहाँ थे,एक तरफ ये भी पता चला है वो आर्थिक रूप से बहुत परेसान था फिर क्या उस आर्थिक शब्द को अर्थ से मिटा दिया गया और जाति को तूल पकड़ा कर 2020 में आरक्षण में होने वाली वृद्धि पर अंतिम मुहर लगा दिया गया….यह कुछ बेहद ही बुद्धिमत्ता वर्ग जो कार्य तो शिक्षा का करते हैं पर रगों में खून राजनीति का बहता है का खेल नज़र आता है..इस मुद्दे पर कहीं भी इसका ज़िक्र नही किया गया की रोहित की करनी क्या थी जो उसे सज़ा दी गयी, ऐसा ही है तो भारत में समस्त विश्वविद्यालय में जाति दलित को कुलपति बना दिया जाना चाहिए …नही तो ये भावना वही होगी..सांप के मुह में छछूंदर,.ना निगलते बने, ना उगलते
Ashutosh Ojha