वर्ग रहित समाजवाद और वर्ग रहित राजनीति को सारी शिक्षाएं सरासर निरर्थक सिद्ध होती हैं।

(राजनीति अपने आप में विस्तृत रूप धारण किये है)समाज या देश का सर्वहारा वर्ग ही  एकलौता समाजवादी है,

जब इनको अपने राजनीति का हिस्सा मानकर कोई इनके अधिकार की बात करता है तो इनको आशा भरी निगाहें बस उसे ही निहारती हैं कब वो सत्ता में आएगा और कब उनके दुःखो को हरेगा,
लेकिन ऐसा होता नहीं है जैसे ही वो कुर्सी पर बैठता है वह स्वयं को सर्वहारा से सर्वविजेता के रूप में देखने लगता है और जिसने कभी हम आँखों से निहारा था वो मात्र आंसुओं की धारा बहाता है।
जानने के लिए हम भारतीय राजनैतिक पार्टियों पर नजर दौड़ा सकते हैं-
काँग्रेस -जिसकी अपनी  विचारधारा धर्मनिरपेक्ष है अर्थात वो उसके सत्ता प्राप्त करने का साधन है,
भाजपा – कभी हिंदुत्व को अपने सत्ता प्राप्त करने का साधन बनाई थी जिसके आधार पर उसने सत्ता प्राप्त भी किया था परंतु धीरे धीरे वह अपने दामन के दाग को छुड़ाने में अग्रसर है काफी हद तक दाग साफ़ भी हो गए हैं फिर भी कुछ कट्टर अभी भाजपा को पंथनिरपेक्ष मानने को तैयार नही हैं इसलिए कहीं ना कहीं से चाह के भी भाजपा पूर्ण पंथनिरपेक्ष नही बन पा रही है।
क्षेत्रीय पार्टियों में-
सपा– जो मुश्लिम और यादव को अपने सत्ता प्राप्ति का मूल बनाया जिसमे सपा भाजपा और भाजपा सपा के आंतरिक मददगार साबित हुए एक मुस्लिम को दरकिनार किया तो एक ने हिन्दू पर गोली चलवाकर मुश्लिम को साध लिया,
फिर भी ध्यान से तो सपा शासन में पश्चिम के यादव का विकास भी खूब हुआ और पूर्व वाले जस के तस बने रहे लेकिन झंडा बराबर उठाते रहे क्योंकि मामला वर्ग का था(यानी यहाँ भी शोषण बरक़रार है)
बसपा– दलितों के उद्धार को आधार बनाया सत्ता भी पाया लेकिन भाजपा के कूटनीति के आगे इनकी राजनीती फेल नजर आने लगी तो फिर से ब्राह्मण और सवर्ण राग अलापने लगी है,
जो कभी तिलक,तराजू और तलवार को जूते मार रही थी आवाज जूते चाटने को तैयार है।
अब राजनीति से इतर हो लेखन में देखें-
चेतन भगत- जिस उमर में लड़के को प्यार में 1000 फिट डूबना चाहिए उस उमर में महानुभाव उसे किताबी प्रेम सीखा रहे हैं,
जिस उमर में उसे अपनी महबूबा के बाँहों में बाहें डाल, गोदी में कपार रख अपने बालों को सहलवाना चाहिए,
उस उमर में वो उन्हें किताब में बाल सहलाने के सिद्धांत पढ़ा रहें है यानी हर सत्ता प्राप्ति वाला व्यक्ति अपने शोषण का वर्ग जरूर तैयार करता है और आगे की फुलकी चूल्हा पर खुदे फूलता रहता है।।जय राष्ट्र
Editor Note: The views presented here are solely author’s view.
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Categories: Politics

Ashutosh Ojha

Bureau Chief of reputed organization. Free speech advocate and excellent writer.

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